wheat market ; गेंहू में अच्छी लेवाली भाव हुआ msp से पार

नई दिल्ली, wheat market 15 मार्च  नया गेहूं एमपी महाराष्ट्र में प्रेशर में आने लगा है, लेकिन दक्षिण भारत की अच्छी लिवाली चलने से अभी मंदे की गुंजाइश नहीं है। नये गेहूं में रैक वालों की खरीद से 20/25 रुपए उत्पादक मंडियों में बढ़ गया है, लेकिन अब और तेजी की गुंजाइश नहीं लग रही है। आगे मौसम के ऊपर निर्भर करेगा, इन सबके बावजूद एक बार अपने स्टॉक के माल को बेचना चाहिए।

गेहूं की बिजाई इस बार देश में 324 लाख हेक्टेयर के करीब हुई है, जो गत वर्ष 307 लाख हैक्टेयर भूमि में हुई थी। वर्तमान में खड़ी फसल को देखते हुए किसान विशेषज्ञों की राय में 1130 लाख मीट्रिक टन के करीब गेहूं का उत्पादन होगा,

उत्पादन 2024 गेंहू

जबकि सरकार द्वारा पिछले दिनों के दिए गए उत्पादन अनुमान 1120 लाख मैट्रिक टन के आये हैं। वर्तमान में मध्य प्रदेश के बैतूल गंज अमरवाड़ा लाइन में गेहूं की आवक जोरों पर चल रही है, लेकिन उसी हिसाब से रैक वाले भी सक्रिय है, क्योंकि तेलंगना कर्नाटक एवं तमिलनाडु की मांग बनी हुई है। मंडियों से गेहूं की खरीद किसानी माल की 2370/2380 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में कारोबारी कर रहे हैं तथा कुछ रैक पॉइंटों पर 2390/2400 रुपए तक का व्यापार हो रहा है।

नयी गेंहू में नमी और अन्य कारण

 मध्य प्रदेश से दिल्ली सहित एनसीआर में नया गेहूं अभी नहीं आ रहा है, क्योंकि भाड़ा सहित अन्य खर्च लगाकर 2720/2725 रुपए के आसपास पड़ रहा है, जिसमें 15-15.5 प्रतिशत नमी आ रही है। कुछ गेहूं 14 प्रतिशत नमी वाला वहां मिल रहा है, लेकिन वह भी 2740 रुपए से ऊपर यहां पड़ रहा है। यही कारण है कि यहां गेहूं के भाव पिछले सप्ताह 100 रुपए बढ़कर 2740/2750 रुपए पुराने माल के हो गए। सरकार गेहूं की खरीद एक अप्रैल से करने जा रही है तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2024-25 के लिए 2275 रुपए निर्धारित किया गया है तथा खरीद लक्ष्य 332 लाख मैट्रिक टन का है।

मंडियो में गेंहू पहुची msp से उपर – wheat market

 वर्तमान में मंडियों में 100 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य से ऊंचे चल रहे हैं, जिससे सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मिलना मुश्किल हो जाएगा। अतः सरकार को या तो बोनस देना पड़ेगा या मंडियों में पुराने माल बिक्री, स्टॉक से नीचे भाव में करने पड़ेंगे। सरकार द्वारा पिछले दिनों गेहूं, टेंडर में बेचे जाने वाले को रोककर मेरी समझ में एक बड़ी भूल की है।

यदि सरकार के पास गेहूं का प्रचुर मात्रा में स्टॉक गोदाम में है, तो उसे टेंडर में बेचते रहना चाहिए था। इसका प्रभाव आगे चलकर गेहूं मंदा होने पर किसानों का माल न्यूनतम समर्थन मूल्य में बिकने के लिए मंडियों में आता। वर्तमान में दिल्ली में गेहूं के भाव 2750 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जो नीचे में पिछले महीने के अंत में 2400 रुपए तक बन गया था तथा मंडियों में 2200 रुपए भाव चल रहे थे। अतः जब तक गेहूं के भाव उत्पादक मंडियों में 2175/2200 रुपए नहीं बनेंगे, तब तक बफर स्टॉक के

लिए चालू विपणन वर्ष में सरकार को गेहूं नहीं मिल पाएगा, अतः यह विचारणीय विषय है। फिलहाल वर्तमान भाव में तेजी की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है, स्टाकिस्टों को अपना माल बेचते रहना चाहिए।

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