मात्र 60 दिनों में पकने वाली ये फसल कर देगी मालामाल, ये है उन्नत किस्मे

रबी फसल की कटाई के 60 दिन के अंदर मूंग की फसल किसानों को मालामाल कर देगी. पकने की अवधि कम होने के कारण खेत की बाद की जुताई के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। जानिए इस खेती की पूरी तकनीक और कैसे इससे गर्मियों में कमाया जा सकता है ज्यादा मुनाफा.

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गर्मी में मूंग की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे फलियां तोड़ने के बाद फसल को जमीन में पलटने से हरी खाद भी मिलती है। इतना ही नहीं सरकार मूंग को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है. किसान उन्नत कृषि पद्धतियाँ अपनाकर मूंग की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।

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गर्मी के मौसम के लिए मूंग की उन्नत किस्में

ग्रीष्म ऋतु में मूंग की खेती नरेंद्र मूंग-1, मालवीय जागृति (एच.यू.एम. 12), सम्राट (पी.डी.एम. 139), मालवीय जनप्रिया (एच.यू.एम. 6), मेहा (आई. पीएम 99-125), पूसा विशाल, मालवीय जन कल्याणी (एचयूएम-16) ), मालवीय ज्योति (एचयूएम 1), टी.एम.वी. 37, मालवीय (एच.यू.एम. 12), आई.पी.एम. 2-3, आई.पी.एम. 205-7 (विराट).

मूंग की ग्रीष्मकालीन बुआई का समय

मूंग की खेती गर्मी के मौसम में रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद की जा सकती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वसंत ऋतु की किस्मों की बुआई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक है तथा ग्रीष्म ऋतु की किस्मों की बुआई का उपयुक्त समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक है। जहां बुआई अप्रैल के प्रथम सप्ताह के आसपास हो वहां सम्राट एवं एचयूएम-16 किस्मों की बुआई करनी चाहिए।

खेती के लिए भूमि

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी के मौसम में मूंग की खेती के लिए दोमट भूमि उपयुक्त होती है। खेत को दो बार जुताई और जुताई करके तैयार किया जाता है. ट्रैक्टर, पावर टिलर, रोटावेटर या अन्य आधुनिक कृषि उपकरणों से खेत की तैयारी जल्दी की जा सकती है।

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मूंग बोने की विधि

मूंग की बुआई कूड़ों में देशी हल के पीछे या सीड ड्रिल से 4-5 सेमी की गहराई पर करें तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेमी रखनी चाहिए।

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

आमतौर पर गर्मियों में मूंग की खेती के लिए खेतों में उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण की अनुशंसा के अनुसार ही करना चाहिए. यदि मृदा परीक्षण नहीं कराया गया है तो उर्वरक की मात्रा निम्नानुसार निर्धारित की जानी चाहिए-

प्रति हेक्टेयर 10-15 kg नाइट्रोजन, 40 kg फास्फोरस और 20 kg सल्फर का प्रयोग करना चाहिए. फास्फोरस का प्रयोग करने से मूंग की उपज में वृद्धि होती है।

मूंग की फसल में सिंचाई करें

मूंग की खेती में गर्मियों में सिंचाई भूमि के प्रकार, तापमान और हवाओं की तीव्रता पर निर्भर करती है। सामान्यतः मूंग की फसल को 4-5 सिंचाईयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुआई के 250-35 दिन बाद करनी चाहिए तथा बाद की सिंचाई आवश्यकतानुसार ही 10-15 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए।

पहली सिंचाई बहुत जल्दी करने से जड़ों एवं ग्रंथियों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फूल आने से पहले तथा दाना बनते समय सिंचाई आवश्यक है। क्यारियाँ बनाकर सिंचाई करनी चाहिए। जहां भी स्प्रिंकलर हैं, उनका उपयोग बेहतर जल प्रबंधन के लिए किया जाना चाहिए। मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होने तथा जलवायु (उच्च तापमान) के कारण किसान खेत में 6-8 सिंचाई तक करते हैं।