गन्ना किसानो की हुई मौज! चीनी मिलो को भी कमाई का मौका, सरकार खोलने जा रही खजाना

नई दिल्ली। सरकार नवंबर 2024 से शुरू होने वाले सत्र के लिए इथेनॉल की कीमतों में वृद्धि के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सरकार कच्चे माल के विविधीकरण पर भी जोर दे रही है क्योंकि उसका लक्ष्य 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करना है। पेट्रोलियम मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली समिति पहले ही प्रस्ताव पर एक दौर की चर्चा कर चुकी है। सूत्रों ने बताया कि इथेनॉल की कीमतों में संशोधन गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य के आधार पर किया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि उत्पादन को प्रोत्साहित करने और हमारे मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मूल्य संशोधन पर प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जा रहा है। इथेनॉल की कीमत में वृद्धि से किसानों और चीनी मिलों को फायदा होगा। इससे मिलों को अधिक पैसा मिलेगा, जिससे किसानों का बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी। अभी कीमतें नहीं बदलेंगी,

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सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह जैव ईंधन उत्पादन के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा, जो कि 2030 की मूल समय-सीमा से काफी पहले है। सरकार द्वारा निर्धारित इथेनॉल की कीमतें 2022-23 सत्र (नवंबर-अक्टूबर) से अपरिवर्तित बनी हुई हैं।

क्या है मौजूदा कीमत

फिलहाल गन्ने के रस से उत्पादित इथेनॉल की कीमत 65.61 रुपये प्रति लीटर है, जबकि ‘बी-हैवी’ और ‘सी-हैवी’ गुड़ से उत्पादित इथेनॉल की दरें क्रमशः 60.73 रुपये और 56.28 रुपये प्रति लीटर हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार अपनी हरित ऊर्जा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को महत्वपूर्ण मानती है।

कहां तक ​​पहुंचा लक्ष्य

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में चालू सीजन में जुलाई तक इथेनॉल मिश्रण 13.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो 2022-23 सीजन में 12.6 प्रतिशत था। देश की कुल इथेनॉल उत्पादन क्षमता फिलहाल 1,589 करोड़ लीटर है। पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों ने 2023-24 सीजन के दौरान मिश्रण के लिए 505 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा है।