Breaking News : सरकार सरसों उत्पादन पर ध्यान दें नहीं तो सूरजमुखी जैसा होगा अंजाम देखे ताजा खबर

सरसों उत्पादन – सरकार हर वर्ष तिलहन व कपास के समर्थन मूल्य बढ़ा देती है, पर जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। सनफ्लावर की खेती 1957-98 में 27 लाख हेक्टेयर में होती थी, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 6750 रुपए प्रति क्विंटल होने के बाद इसकी खेती घटकर नाम मात्र तीन-चार प्रतिशत ही रह गई। सोयाबीन, मूंगफली व सरसों (सरसों उत्पादन) जो वर्तमान में किसानों का हाल हुआ है, इससे किसान इन फसलों की पैदावार छोड़कर अन्य लाभदायक फसलों पर चले जाएंगे।

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सूरजमुखी के जैसे होगा सरसों के किसानो का रुख

जैसे सनफ्लावर का समर्थन मूल्य ऊंचा होने के बाद भी किसान उधर नहीं लौट रहे हैं। सरसों, सोयाबीन, कपास, मूगफली से भी पीछे हट जाएंगे। सनफ्लावर तेल पर हम 98 प्रतिशत आयात पर निर्भर हो गए हैं, जो हम विदेशों से आयातित सनफ्लावर तेल की आपूर्ति कर रहे हैं। सबसे बड़ी परेशानी कपास सरसों मूंगफली पर आएगी, जिसका विदेश में कोई विकल्प नहीं है।

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सनफ्लावर तेल समर्थन मूल्य के हिसाब से पिराई करने के बाद मिल वालों को लागत 155 रुपए प्रति किलो की बैठी है, जबकि आयत ड्यूटी कम से सस्ता आयात करने से इसका तेल 83/84 रुपए प्रति किलो के भाव में उपभोक्ताओं को मिल रहा है। तिलहन उत्पादन 1150 से 1200 डॉलर पर थी अब 38.5 प्रतिशत आयात शुल्क 4 साल पहले थी अब $1000 पर 5.5त्न आयात शुल्क रह गया है। इस वर्ष कपास का उत्पादन नहीं बढ़ा, परंतु नकली खल बिनौला की खल बनाने एवं वायदा कारोबार चलाने वालों से सिंडिकेट बनाकर बिनौला खल के नीचे भाव नीचे कर दिए हैं।

कपास के किसानो को इस साल फिर मिली निराशा

जिस कारण किसानों की कपास समर्थन मूल्य से 12 प्रतिशत नीचे बेचने को मजबूर कर दिया है। पिछले दिनों गुजरात सरकार के पशुपालन मंत्री के चेतावनी देने के बाद भी नकली खल, मिली भगत से गुजरात महाराष्ट्र सहित आसपास के राज्यों में बन रही है, ऐसी चर्चा है। बिनौला खल की पिराई करने पर मिल वालों के घर में 3000/3200 रुपए प्रति क्विंटल की लागत आ रही है, जबकि 1700/1800 रुपए लागत की केमिकल युक्त नकली खल बनाकर 2600/2700 रुपए बेचकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं।

गौरतलब है कि वायदा कारोबार में हल्दी जीरा बिनौला खल आदि किसी की जांच नहीं होती, इसकी जांच करनी जरूरी है। नहीं तो कपास का उत्पादन बढ़ाने की बजाय घटता जाएगा। सरकार कपास सहित सभी तिलहनों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कह रही है। अतः सरकार को दो पॉइंट पर ध्यान देना जरूरी है पहले की तिलहन उत्पादन करने वाले किसानों को उन्नतशील बीज मुहैया करा कर सब्सिडी देकर उत्पादन बढ़ाया जाए तथा यह तभी संभव है, जब आयात शुल्क, खाद्य तेलों पर अधिक लगेगा दूसरा यह की खल सहित किसी भी उपभोक्ताओं व पशुओं के खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को सीधे अपराधी घोषित किया जाए। सरसों उत्पादन खबर कैसी लगी

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