काबुली चना भाव में लौटी तेजी देखे बाजार की रणनीति ,क्या लम्बी टिकेगी तेजी

काबुली चना भाव -नई दिल्ली, 27 अप्रैल काबुली चने में वर्तमान में आई तेजी असामयिक है, क्योंकि पिछले वर्ष की रिकॉर्ड तेजी को देखकर उत्पादक मंडियों के व्यापारी एवं किसान माल रोक लिए हैं तथा वहीं पर कच्ची मंडियों में भी स्टॉक होने लगा है, इसे देखकर दिल्ली सहित बड़ी वितरक मंडियों में भी माल की शॉर्टेज में भाव बढ़ गए हैं। अतः सीजन की तेजी देखकर, व्यापार संभाल कर करना लाभदायक रहेगा।

पुराना स्टॉक हुआ खतम

काबुली चने का उत्पादन 30 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, जो बीते वर्ष 17-18 लाख मीट्रिक टन हुआ था। गत वर्ष महाराष्ट्र के माल नीचे में 68/69 रुपए बिककर ऊपर में 128/129 रुपए प्रति किलो कच्चा माल देख आए था। इस बार नई फसल आने पर, पुराना स्टॉक गोदाम में पूरी तरह समाप्त हो गया था, लेकिन वर्तमान की फसल अधिक होने के बावजूद भी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश के स्टॉकिस्ट वहीं पर माल पकड़ने लगे हैं। इस बार स्टॉक दो स्टेप पर ज्यादा हो रहा है,

पहला यह कि किसान ही ऊंचे भाव देखकर के माल को रोकने लगे हैं। दूसरा उत्पादक मंडियों के कारोबारी स्टॉक करने लगे हैं, जिससे दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों में माल कम आ रहा है।

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काबुली चना भाव और बाजार

इस समय काबुली चने की महाराष्ट्र की थैलियां 85/88 रुपए बोल रहे हैं। इधर इंडियन मेक्सिको माल के भाव 104/105 रुपए तक बोल रहे हैं। वास्तविकता यह है कि बाजारों में रुपए की तंगी है, लेकिन कारोबारी चौतरफा तेजी में आ गए हैं, जिससे माल पकड़ने लगे हैं। अतः अभी कुछ दिन करेक्शन आने के बाद 4/5 रुपए प्रति किलो बढ़ा जरूर देंगे, लेकिन इन बढ़े भाव में माल बेचते रहना चाहिए।


हम मानते हैं की फरवरी माह में फसल आने पर पुराना माल गोदाम में समाप्त हो गया था, इसके बावजूद भी काबुली चन की बिजाई अधिक होने के साथ-साथ मौसम अनुकूल होने से उत्पादन 28/30 लाख मीट्रिक टन हुआ है, जो गत वर्ष की अपेक्षा लगभग 50 प्रतिशत अधिक है, केवल मंडियों में वर्तमान की आवक को देखकर उत्पादन व उत्पादकता का आकलन लगाना ठीक नहीं रहेगा। कारोबारी देसी चने के साथ-साथ इसके उत्पादन में भी कमी बताने लगे हैं, जो कि पूरी तरह निराधार है। आगे शादियां समाप्त होने जा रही हैं।

अतः ऊंचे भाव के माल गले में अटक सकते हैं। मटर भी प्रचुर मात्रा में आ रहा है, अब तक 13 लाख मीट्रिक टन का आयात हो चुका है तथा और भी सौदे हो रहे हैं। अतः काबली चने पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।

किसान साथियो व्यापार अपने विवेक से करे