गेहूं खरीद पर रहेगी सरकार की पैनी नजर, गेहूं के स्टोक पर सरकार का आया बड़ा आदेश

राज्य सरकारों के साथ-साथ निजी व्यापारियों ने भी गेहूं खरीद की तैयारी कर ली है. इस बीच केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने गेहूं स्टॉक पर एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत गेहूं खरीद के दौरान सरकार गेहूं पर नजर रखेगी, यानी सरकार गेहूं स्टॉक पर नजर रखेगी. आइए इस कड़ी में जानते हैं गेहूं स्टॉक को लेकर क्या है नया आदेश. क्या था पुराना आदेश? ये फैसला लेने की वजह क्या है और इसका किसानों पर क्या असर होगा?

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गेहूं स्टॉक पर नया आदेश

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को गेहूं स्टॉक पर एक नया आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि समग्र खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के निर्णय के तहत, भारत सरकार ने गेहूं स्टॉक को सीमित करने का निर्णय लिया है। 1 अप्रैल, 2024 से। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खुदरा विक्रेताओं, प्रोसेसर, व्यापारियों/थोक विक्रेताओं को अगले आदेश तक हर शुक्रवार को गेहूं की अपनी स्टॉक स्थिति घोषित करनी होगी। इसके लिए एक पोर्टल तैयार किया गया है.

इसके साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी श्रेणी के संस्थानों को गेहूं के स्टॉक की जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध कराने को कहा गया है. गेहूं का स्टॉक 31 मार्च 2024 तक समाप्त हो रहा था।

गेहूं स्टॉक की सीमा क्या तय की गई?

गेहूं स्टॉक के नए आदेश को समझें तो कहा जा सकता है कि सरकार ने गेहूं स्टॉक सीमा के पहले के फैसले को बढ़ा दिया है. दरअसल, पहले केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने गेहूं पर स्टॉक सीमा तय की थी, जिसके तहत व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं, प्रोसेसर्स, व्यापारियों/थोक विक्रेताओं के पास गेहूं की उपलब्धता की सीमा 5000 क्विंटल तय की गई थी. नये आदेश में गेहूं की सीमा का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन गेहूं के स्टॉक की जानकारी देने को कहा गया है.

स्टॉक खाली होना एक बड़ा कारण है

केंद्र सरकार द्वारा गेहूं स्टॉक की निगरानी के पीछे मुख्य वजह एफसीआई का खाली गेहूं स्टॉक है. दरअसल, पिछले दो साल से एफसीआई गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही है. महंगाई पर काबू पाने के लिए एफसीआई के गोदामों में रखे गेहूं को ओपन मार्केट सेल के तहत बेचा जा रहा है. इस कारण एफसीआई का गेहूं का स्टॉक खाली हो गया है।

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स्थिति यह है कि मार्च में एफसीआई का गेहूं स्टॉक 100 लाख टन से नीचे चला गया है, जो 6 साल में सबसे कम है। वहीं, इस साल से 5 साल की मुफ्त अनाज योजना भी शुरू की गई है, जिसके तहत देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन यानी गेहूं-चावल बांटा जाना है, जिसके लिए अतिरिक्त गेहूं-चावल की जरूरत होगी. ऐसे में एफसीआई का स्टॉक भरना जरूरी है, जिसे देखते हुए गेहूं स्टॉक पर निगरानी रखने का फैसला लिया गया है. उदाहरण के तौर पर सरकार की प्राथमिकता शायद यह होगी कि पहले एफसीआई अपना गेहूं खरीद लक्ष्य पूरा करे, उसके बाद व्यापारी गेहूं खरीदें.

किसानों के लिए इसका क्या मतलब है?

गेहूं स्टॉक की सरकारी निगरानी का क्या मतलब? यह वर्तमान समय में एक बड़ा सवाल है. किसानों को उम्मीद है कि इस बार गेहूं को एमएसपी से ज्यादा कीमत मिलेगी. इस बारे में दिल्ली फ्लोर मिल एसोसिएशन के पदाधिकारी राजीव गोयल का कहना है कि पहले जब गेहूं पर स्टॉक लिमिट थी तो गेहूं की कीमतें नियंत्रित रहती थीं. स्टॉक की जानकारी देने के आदेश के बाद अब व्यापारी गेहूं की अतिरिक्त खरीद नहीं करेंगे। इससे खुले बाजार में गेहूं की कीमतें स्थिर रहेंगी। अगर सीधे तौर पर गोयल की बात कही जाए तो कहा जा सकता है कि सरकार के इस आदेश से गेहूं की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी. चूंकि ऐसी संभावनाएं हैं कि इस बार गेहूं की कीमत एमएसपी से अधिक हो सकती है, यह आदेश उस पर एक बाधा के रूप में काम करेगा।