जीरा निर्यात में आई गिरावट देखे जीरा निर्यात खबर

जीरा निर्यात खबर – नई दिल्ली, 24 मई वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक ग्यारह महीनों की अवधि में देश से प्रमुख किराना जिंस, जीरे, के मात्रात्मक निर्यात में करीब 21 प्रतिशत की कमी आई है। व्यापारिक सूत्रों ने कहा कि निर्यात में कमी आना निश्चय ही चिंता का कारण है लेकिन यह कमी मांग में कमी आने की बजाए इसकी औसत निर्यात कीमत ऊंची होने के कारण आई है।

मसाला बोर्ड द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-फरवरी अवधि में देश से 4885.79 करोड़ रुपए मूल्य के कुल 1,32,019.06 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में इसकी 1,67,052 75 टन जीरे का निर्यात हुआ था और इससे 3690.93 करोड़ रुपए की आय हुई थी।

जीरा निर्यात आंकड़ा

इन आंकड़ों से पता चलता है कि आलोच्य वित्त वर्ष की ग्यारह महीनों की अवधि में मात्रा के आधार पर जीरे के निर्यात में 35,033.69 टन या 20.91 प्रतिशत की कमी आई है जबकि आय में 32 प्रतिशत का उछाल आया है। इससे पता चलता है कि समीक्षागत बित्त वर्ष की अप्रैल-फरवरी, 2023-24 अवधि में जीरे के निर्यात में जो कमी आई है, उसके पीछे मांग कमजोर पड़ना उतना बड़ा कारण नहीं है, जितना कि इसकी ऊंची कीमत है। ज्ञातव्य है कि बीते-जनवरी-फरवरी महीनों में घरेलू बाजारों में जीरे की थोक कीमत आसमान छू रही थी। इस प्रमुख किराना जिंस की थोक कीमत उछलती हुई ऊझा में करीब 750-800 रुपए प्रति किलोग्राम तक जा पहुंची थी। यही वजह है कि निर्यात में यह कमी दिखाई दे रही है।

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ऊंझा मंड़ी स्थित व्यापारी जतिन पटेल ने बताया कि इसके बाद कीमत घटने तथा नई फसल भी शुरू होने के कारण जीरे की थोक कीमत में उल्लेखनीय गिरावट आई है। फिलहाल इसकी कीमत 310-315 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास बनी हुई है। हालांकि सामान्य की अपेक्षा जीरे की नवीनतम थोक कीमत भी ऊंची है लेकिन जनवरी-फरवरी की तुलना में यह नीची भी है। उन्होंने आगे बताया कि जीरे की थोक कीमत में आई मंदी की वजह से ही चीन जैसा प्रमुख आयातक देश अभी भी भारत से रुक-रुककर इस प्रमुख किराना जिंस की खरीद कर रहा है। हालांकि उसकी यह खरीद सीमित मात्रा में ही है क्योंकि ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि जल्दी ही चीन में जीरे की नई फसल भी होने वाली है। अभी तक प्राप्त हो रही जानकारियों पर यदि विश्वास किया जाए तो चीन में इस बार जीरे की फसल सामान्य आने के आसार हैं।

इसके साथ-साथ तुर्की, सीरिया में भी जीरे की नई फसल आनी है। हालांकि इन दोनों देशों में जीरे का संयुक्त उत्पादन करीब 35 हजार टन के आसपास ही होता है और उनकी क्वालिटी भी भारत से हल्की होती है। इस तथ्य के बाद भी घरेलू बाजारों में तुर्की, सीरिया की वजह से जीरे की व्यापारिक गतिविधियां तथा कीमत, दोनों, प्रभावित होती हैं। श्री पटेल ने बताया कि इसका प्रमुख कारण यह है कि भारत के कुछ मसाला उत्पादक तुर्की तथा सीरिया से जीरे मंगाना शुरू कर देते हैं।

जीरा भाव में तेजी या मंदी 2024

व्यापारिक सूत्रों का मानना है कि अगले कुछ समय तक देश में जीरे की व्यापारिक गतिविधियां सुस्त पड़ने की आशंका है। हालांकि अगले महीने से मानसून भी केरल में पहुंचने के आसार हैं। मौसम विभाग की अंतिम सूचना के अनुसार अभी अंडमान के कुछ हिस्सों तक मानसून पहुंच चुका है और उम्मीद है कि एक जून या इससे पहले ही यह केरल पहुंच जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि मानसून सीजन की संभावित खपत के लिए दिसावरों की मांग भी निकलने की प्रतीक्षा की जा रही है। हालांकि यह संभावित मांग कैसी होगी, यह अभी देखना शेष है।