पूरे फसल चक्र के दौरान यानी बुआई से लेकर कटाई तक विभिन्न फसलें समय-समय पर कीटों और बीमारियों से प्रभावित होती हैं, जिसके कारण फसलों की उपज कम हो जाती है। किसान समय रहते इन कीट रोगों की पहचान कर फसल क्षति को रोक सकते हैं। इसी प्रकार गेहूं की फसल में जड़ माहू के प्रकोप की अभी भी संभावना बनी हुई है। इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।
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कृषि विभाग ने गेहूं की फसल को जड़ माहू कीट से बचाने के लिए सलाह दी है, ताकि किसान आसानी से जड़ माहू कीट की पहचान और नियंत्रण कर सकें। कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी गई सलाह में कहा गया है कि प्रतिकूल मौसम के कारण गेहूं की फसल में रूट एफिड का प्रकोप होने की संभावना है. इसके लिए किसानों को गेहूं की फसल की लगातार निगरानी करनी चाहिए।
क्या होता है जब गेहूं में जड़ एफिड पाया जाता है?
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राजस्थान के बूंदी जिले के कृषि विस्तार जिला परिषद के संयुक्त निदेशक महेश कुमार शर्मा ने बताया कि यह चुकंदर गेहूं की फसल में पौधों की जड़ों से रस चूसता है, जिससे पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूख जाता है. शुरुआत में खेतों में जगह-जगह पीले पौधे दिखाई देते हैं, बाद में पूरा खेत सूखने की आशंका रहती है।
यह कीट हल्के पीले से गहरे हरे रंग का होता है और जड़ों का रस चूसता हुआ दिखाई देता है। गेहूं के पौधों को उखाड़ने पर ध्यान से देखने पर यह कीट आसानी से दिखाई दे जाता है।
रूट एफिड कीट को नियंत्रित करने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए?
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गेहूं की फसल में जड़ माहू कीट के नियंत्रण के लिए किसानों को क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी का प्रयोग करना चाहिए। 1 से 2 लीटर प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जीआर को 15-20 किलोग्राम हेक्टेयर यूरिया या बलुई मिट्टी में मिलाकर सिंचाई से पहले खेत में डालें। या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200-250 मिली हेक्टेयर या थायोमेथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 100 ग्राम हेक्टेयर या क्लोरपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी प्रति हेक्टेयर 1 से 2 लीटर पानी में घोल बनाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिड़काव करें. ये औषधियाँ प्रणालीगत प्रकार की होती हैं जिससे पूरा पौधा जहरीला हो जाता है और जब कीट रस चूसते हैं तो मर जाते हैं।