आचार संहिता बनी किसानो का रोड़ा, नहीं मिल रहा फसलो का नगद भुगतान

मध्य प्रदेश की सभी मंडियों में किसानों को 2 लाख रुपये तक की उपज बेचने पर नकद भुगतान का नियम है, जिसका आमतौर पर पालन किया जाता है, लेकिन इन दिनों लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई है. नकदी जब्त होने और परेशानी के डर से अनाज व्यापारी किसानों को दो लाख रुपये तक का भुगतान नकद करने से बच रहे हैं। इससे किसान परेशान हो रहे हैं।

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इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के श्री रामस्वरूप मंत्री एवं श्री बब्लू जाधव ने बताया कि पिछले तीन दिनों से इंदौर मंडी में अपनी उपज लाने वाले किसानों को नकद भुगतान नहीं मिल रहा है। आचार संहिता की आड़ में अनाज व्यापारी नकद भुगतान से बच रहे हैं, जिससे किसानों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस समय शादियों का सीजन चल रहा है, ऐसे समय में किसानों को पैसों की सख्त जरूरत है.

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इस समस्या के चलते किसान संगठनो ने कलेक्टर को पात्र लिखकर नगद भुगतान शुरू करने के लिए आग्रह किया है. किसानों को उनकी उपज बेचने के बाद 2 लाख रुपये दिए जाएं, वहीं व्यापारियों पर भी किसानों को भुगतान को लेकर सख्ती बरती जाए। राहत प्रदान करें ताकि किसानों को समय पर भुगतान हो सके। इस जटिल मामले में व्यापारियों का कहना है कि जब भी आचार संहिता लगती है, कैश ले जाने पर पुलिस जांच होती है तो हमें कारोबार छोड़ना पड़ता है और घंटों परेशान होना पड़ता है.

इसलिए आचार संहिता के दौरान नकद भुगतान की व्यवस्था प्रभावित होती है और किसानों को भुगतान में देरी होती है. इसमें हमारी कोई गलती नहीं है. इस समस्या के समाधान के लिए मंडी प्रशासन ने कलेक्टर को भी अवगत करा दिया है। वहीं व्यापारियों को भी किसानों को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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