बाजरा भाव में हेरा फेरी देखे बाजार रिपोर्ट मंदी या तेजी

बाजरा भाव – नई दिल्ली, 12 अप्रैल बाजरे की फसल आए लगभग 7 महीने हो चुके हैं तथा उत्पादक मंडियों में माल काफी कम रह गया था तथा इतना ऊंचे भाव में बिक्री भी कमजोर रही, इन सब के बावजूद भी सरकार द्वारा यूपी में राशन प्रणाली के अंतर्गत बाजरे का वितरण किया जा रहा है, वह माल उपभोक्ताओं तक शत-प्रतिशत नहीं पहुंचकर वापस बाजारों में आकर बिकने का मामला व्यापारियों द्वारा सामने आया है, जिससे पिछले दो दिनों में 90 से 100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई है। अतः सरकार को राशन के दुकानदारों पर सख्ती करनी चाहिए, जिससे जरूरतमंद लोगों को बाजरा मिल सके

माल निकलने के बावजूद भी हलकी फुलकी आवक जारी – बाजरा भाव

बाजरे की फसल आए लगभग 7 महीने हो चुके हैं। इसका मुख्य उत्पादन राजस्थान हरियाणा के कुछ लगते हुए हिस्से में होता है, इसके अलावा यूपी एवं मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी होता है। बीते सितंबर-अक्टूबर में आई हुई फसल 145-146 लाख मैट्रिक टन के करीब आई थी, लेकिन नई फसल आने पर बीते सीजन में पुराना माल, जो 12 लाख मीट्रिक टन के करीब बचता था, वह इस बार बिल्कुल नहीं था। दूसरी ओर बाजरे की 22-23 प्रतिशत अतिरिक्त खपत में वृद्धि रही है। यही कारण है कि बाजरा 2180/2200 रुपए प्रति कुंतल मौली बरवाला पहुंच में बिकने के बाद 2450/2475 रुपए उपर तक पहुंच में एक महीने पहले देख आया है।

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बाजरे का भाव मंडियो में

गौरतलब है कि सरकार द्वारा यूपी में राशन के अंतर्गत बाजरा वितरित किया जा रहा है, वह आम उपभोक्ताओं को समुचित मात्रा में वितरण नहीं हो पा रहा है तथा वही ब्लैक में 2000/2050 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में आकर मंडियों में बिकने से 100 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा आ गया है।


जो बाजरा मौली बरवाला पहुंच में 2450 रुपए प्रति कुंतल पिछले महीने बिका था, उसके भाव 2300/2310 रुपए प्रति क्विंटल मौली बरवाला पहुंच में रह गए हैं। सरकार द्वारा बाजरे की बिक्री आम उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य एवं जेब खर्च के हिसाब से राशन में वितरित किया जा रहा है, लेकिन उसका अराजक तत्व नाजायज लाभ उठाकर उन्हें औने-पौने भाव में खुले बाजार में बेचने लगे हैं।

इस पर सरकार को सख्ती करनी चाहिए। इस तरह होगा तो राशन में खाद्यान्न बेचने का क्या लाभ होगा। हम मानते हैं कि बाजरे की फसल आने में अभी 5 महीने से ऊपर का समय बाकी है, साठा बाजार जून के महीने में आएगा, इसकी बिजाई अभी होनी बाकी है, इन सब के बावजूद भी सरकार को वितरण वाली योजना पर ध्यान देना चाहिए, उसे खुले बाजार में बेचने पर रोक लगना जरूरी है। फिलहाल सरकारी माल मंडियों में नहीं आए तो, नई फसल आने तक बाजरा शॉर्टेज में बन सकता है। अतः वर्तमान भाव के बाजरे में रिस्क समाप्त हो गया है।