Farming Expert, New Delhi : पूरी दुनिया में 21 अगस्त को वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे मनाया जाता है। भारत में सीनियर सिटीजन यानी बुजुर्गों को घर की छत कहा जाता है।
समाज के साथ-साथ सरकार भी व्यवहारिक देखभाल करती है। रेलवे भी पीछे नहीं है. अब जानिए कि भारतीय रेलवे के वरिष्ठ नागरिकों को क्या-क्या सेवाएं मिलती हैं।
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रेलवे के सैद्धांतिक अनुसार, 60 वर्ष के पुरुष और 58 वर्ष की महिला को वरिष्ठ नागरिक माना जाता है। पहले रेलवे म्यूजियम हर डिवीजन के किरायों में रेजिमेंट देता था।
ये छूट दुरंतो, सदी, राजधानी रीस्टोरी में भी मिली थी। महिला नागरिकों के लिए ये 50 प्रतिशत और पुरुष नागरिकों के लिए 40 प्रतिशत था।
हालांकि कोरोना महामारी के दौरान इस छूट को सरकार ने बंद कर दिया था. वरिष्ठ नागरिकों को छूट कब से दी जाएगी, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
भारतीय रेलवे में दो प्रकार के नवीन स्थान पाए जाते हैं। पहला होता है ऑस्कर और दूसरा गैर-आरक्षित। जब भी किसी भी वरिष्ठ नागरिक रेलवे में टिकट शॉकेट कराता है तो उसका मूल आधार निचली बर्थ पर होता है।
इतना ही नहीं, अगर किसी महिला की उम्र 45 साल से ज्यादा है तो रेलवे का कंप्यूटर सिस्टम खुद-ब-खुद लोअर बर्थ दे देता है। लेकिन यह मसाले के आधार पर ही यह देशभक्ति दी जाती है।
वयोवृद्धों के लिए पुरावशेष होते हैं
रेलवे की जिन स्टॉक्स में कोच ओलंपिक्स होता है, इसमें कुछ शामिल हैं जैसे बर्थ वयोवृद्ध नागरिकों के लिए ओलंपिक्स स्टॉक्स में शामिल हैं। हर स्लीपर कोच में बुजुर्ग नागरिकों के लिए करीब 6 लोअर बर्थ के आभूषण रखे जाते हैं।
45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं और गर्भवती महिलाओं को भी चतुर्थ श्रेणी में शामिल किया गया है। इसके अलावा नॉमिनेट मेल, एक्सप्रेस रेस्टॉरेंट की तुलना में राजधानी, दुरंतो और फुल एसी रेस्टॉरेंट में वृद्ध नागरिकों के लिए बढ़त सबसे ज्यादा है।
इसके अलावा मुंबई लोकोमोटिव रिकॉर्ड्स में भी कुछ अलग-अलग बुजुर्गों के लिए रिकॉर्ड रखे गए हैं। बुजुर्ग महिला नागरिकों को भी इसी तरह से एकोमोडेट किया जाता है। फ़ायदे की बात करें तो वृद्ध नागरिकों को बड़ी मेडिकल चेयर दी जाती है।