फसल सुरक्षा 2024 ; देसी उपायों से फसलो को बंचाये पाला मारने से

फसल सुरक्षा 2024 : मौसम में बदलाव का सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ता है। किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए कई तरह के उपाय करने पड़ रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको सर्दी के इस मौसम में फसलों को पाले से बचाने की जानकारी बताने जा रहे हैं. क्योंकि पाले के कारण कई बार खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान होता है. अधिक पाला पड़ने से फसलें सड़ने लगती हैं, इसलिए जरूरी है कि सही समय पर उनकी सुरक्षा की जाए।

पाले से फसलों को भारी नुकसान होता है

सर्दी के कारण गेहूं और जौ की फसल में 20 से 25 फीसदी और सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम, मटर, चना, गन्ना आदि फसलों में 30 से 40 फीसदी का नुकसान हो सकता है. वहीं अगर सब्जियों की बात करें. आलू, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि में 40 से 60 फीसदी तक नुकसान हो सकता है. ऐसे में इस सीजन में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

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पाले के कारण पौधों की कोशिकाओं में मौजूद जल के कण बर्फ में बदल जाते हैं। इससे वहां अधिक घनत्व होने के कारण पौधों की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, ऐसे में पेड़-पौधों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियां (कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, वाष्प उत्सर्जन) करने में समस्या उत्पन्न होती है। जिससे पौधे विकृत हो सकते हैं. इससे फसलों को नुकसान होता है तथा उपज एवं गुणवत्ता में भी कमी आती है।

फसलों को पाले से कैसे बचाएं?

किसान अपनी फसलों को पाले से बचाएं: फसलों को पाले से बचाने के कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ किसानों द्वारा ईजाद किए गए देसी नुस्खे हैं, जिनमें कोई खर्च नहीं होता है, जबकि कुछ दवाइयों की मदद से भी फसलों को बचाया जा सकता है।

स्थानीय उपायों की बात करें तो फसल को शीत लहर और पाले से बचाने के लिए घास के ढेर जलाकर खेतों में धुआं करें या सिंचाई करें। किसान स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई कर पाले से अपना बचाव कर सकते हैं। इसके अलावा आपको खेत में फसलों को रस्सी से हिलाते रहना चाहिए, जिससे फसलों पर पड़ी ओस गिरती है और फसलों को पाले से काफी हद तक बचाया जा सकता है.

फसलों की सुरक्षा हेतु औषधियों का प्रयोग

फसलों को पाले से बचाने के लिए आप दवाइयों का भी प्रयोग कर सकते हैं। यूरिया का 20 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए। अथवा 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़कें। इसके अलावा घुलनशील सल्फर 80% डब्ल्यूडीजी 40 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। ऐसा करने से पौधों की कोशिकाओं में मौजूद प्रोटोप्लाज्म का तापमान बढ़ जाता है।

अधिक जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

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