jeera mandi news : बिकवाली हुई कमजोर जाने आगे कैसा रहेगा जीरा का भाव

नमस्कार साथियो jeera mandi news , आगे जीरा का बाजार कैसा रह सकता है , जानेगे आज की इस पोस्ट के अंदर जीरा का भाव , और तेजी मंदी रिपोर्ट 2023 सभी प्रकार की जानकारी निचे पोस्ट में दी गयी है .

चालू अगस्त महीने के दौरान गुजरात में मानसूनी वर्षा की भारी कमी बनी हुई है। दूसरी ओर, हाल ही में आई मंदी के बाद आवक भी कमजोर बनी हुई है। आगामी दिनों में जब तक लिवाली नहीं बढ़ती जीरे में लंबी तेजी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

आप सुधि पाठकों को समय-समय पर जीरे की तेजी-मंदी ( jeera mandi news ) के सम्बन्ध में नवीनतम जानकारियां मिलती रहती हैं और उन्हें इससे लाभ भी होता है। चालू अगस्त महीने के दौरान गुजरात में मानसूनी वर्षा का भारी अभाव बना हुआ है। यद्यपि गत जुलाई महीने में दक्षिणी गुजरात के कई जिलों में भारी वर्षा होने के कारण बाढ़ भी आ गई थी लेकिन उत्तरी गुजरात में वर्षा तब भी सामान्य से कमजोर ही हुई थी मौसम विभाग का कहना है कि गुजरात में वर्तमान मानसून सीजन के आरंभ से लेकर अभी तक करीब 21 प्रतिशत वर्षा कम हुई है।

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बिकवाली हुई कमजोर जिससे आई मंदी जीरे भाव में jeera mandi news

इसके अलावा जीरे में हाल ही में आई मंदी के बाद किसानों की बिकवाली सीमित हो गई है। यही वजह है कि ऊंझा मेंड़ी में जीरे की किसानी आवक नाममात्र को करीब 1500-2000 बोरियों की ही हो रही है। इसके बाद भी लिवाली कमजोर ही बनी होने के कारण जीरे की कीमत हाल ही में 700 रुपए मंदी होकर मंदी होकर फिलहाल 11,000/11, 100 रुपए प्रति 20 किलोग्राम पर बनी हुई है। इसके विपरीत, स्थानीय थोक किराना बाजार में भी लिवाली कमजोर पड़ने से जीरा सामान्य 4 हजार रुपए गिरकर फिलहाल 61/62 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है।

 इससे पूर्व इसमें 800 रुपए की मंदी आई थी। कीमत में आई इस नवीनतम मंदी के कारण किसान अपनी इस फसल की बिक्री हाथ रोककर कर रहे हैं। आवक तुलनात्मक रूप से नीची बनी होने का प्रमुख कारण यह है कि बीते मार्च महीने में हुई वर्षा के कारण खासकर राजस्थान में फसल को हानि हुई थी। इसके अलावा बंगलादेश समेत अन्य परम्परागत आयातक देशों की ऊंझा मंडी में जीरे में सक्रियता बनी हुई है। हालांकि कीमत सामान्य से ऊंची होने के कारण उनकी खरीद सामान्य से कमजोर बताई जा रही है। दूसरी ओर, बीते सीजन के दौरान जीरे के उत्पादन में करीब एक तिहाई की गिरावट आने की आशंका के बाद से इसकी थोक कीमत ने रुक-रुककर नए-नए रिकॉर्ड कायम किए थे।

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बड़ी चिंता की बात यह है कि समुद्री भाड़ा भी बीते कुछ समय के दौरान बढ़ता हुआ फिलहाल करीब 3 गुणा तक ऊंचा बना हुआ है। भाड़े की दर ऊंची होने के करण भी अन्य प्रमुख जिंसों के साथ-साथ जीरे की निर्यात का अभाव बना हुआ है। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है लेकिन अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक दो महीनों में जीरे का मात्रात्मक निर्यात 68 प्रतिशत उछलकर 42,988.50 टन का हुआ आय 205 प्रतिशत उछलकर 1502.27 करोड़ रुपए की हुई। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 492.11 करोड़ रुपए मूल्य के 25,603 टन जीरे का निर्यात हुआ था। आगामी दिनों में जब तक लिवाली नहीं बढ़ेगी तब तक जीरे में लंबी तेजी की उम्मीद नहीं है।